लुगाई मिलेगी
लुगाई मिलेगी

लुगाई मिलेगी

( Lugai Milegi )

चुनावी समर में मलाई मिलेगी,
कुंवारे जनों को लुगाई मिलेगी !

करा दी मुनादी नेता जी ने घर घर,
बूढ़ों को भी सहरा सजाई मिलेगी !

जिताकर हमे जो दिलाएगा कुर्सी,
लगी घर में लाइन सगाई मिलेगी !

दुखी है जो घर में भी बेगम सगी से,
पड़ोसन हसीं से मिलाई मिलेगी !

करेगा हमे जो जिताने का प्रबंध,
उसे फिर मुफ़त की कमाई मिलेगी !

शराबी जो होगा मिलेगी दो बोतल,
चिकन से भरी संग कढ़ाई मिलेगी !

बिना पीने वालो का दर्जा अलग है,
पूड़ी साथ हलवा, मिठाई मिलेगी !

गरीबो की खातिर इंतेजाम खासा,
मड़ैया, फटी इक, चटाई मिलेगी !

शेरो को पड़ेगा न करना अहेरा,
गुफा में ही बैठे छकाई मिलेगी !

कहेगा ना कोई गधों को गधा अब,
घोड़ो सी हरी कुश चराई मिलेगी !

लगे है मुझे तो ‘धरम’ अब गया बस,
तुझे इस जहां से विदाई मिलेगी !!

DK Nivatiya

डी के निवातिया

यह भी पढ़ें:-

पर्यावरण दिवस | Hindi Poem on World Environment Day

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here