चुनावी वादे | लुगाई मिलेगी
लुगाई मिलेगी
( Lugai Milegi )
चुनावी समर में मलाई मिलेगी,
कुंवारे जनों को लुगाई मिलेगी !
करा दी मुनादी नेता जी ने घर घर,
बूढ़ों को भी सहरा सजाई मिलेगी !
जिताकर हमे जो दिलाएगा कुर्सी,
लगी घर में लाइन सगाई मिलेगी !
दुखी है जो घर में भी बेगम सगी से,
पड़ोसन हसीं से मिलाई मिलेगी !
करेगा हमे जो जिताने का प्रबंध,
उसे फिर मुफ़त की कमाई मिलेगी !
शराबी जो होगा मिलेगी दो बोतल,
चिकन से भरी संग कढ़ाई मिलेगी !
बिना पीने वालो का दर्जा अलग है,
पूड़ी साथ हलवा, मिठाई मिलेगी !
गरीबो की खातिर इंतेजाम खासा,
मड़ैया, फटी इक, चटाई मिलेगी !
शेरो को पड़ेगा न करना अहेरा,
गुफा में ही बैठे छकाई मिलेगी !
कहेगा ना कोई गधों को गधा अब,
घोड़ो सी हरी कुश चराई मिलेगी !
लगे है मुझे तो ‘धरम’ अब गया बस,
तुझे इस जहां से विदाई मिलेगी !!