जरूरत क्या है | Ghazal Zaroorat kya Hai
जरूरत क्या है
( Zaroorat kya Hai )
बेसबब बात बढ़ाने की ज़रूरत क्या है
सर पे तूफ़ान उठाने की ज़रूरत क्या है।
बात होती हो अगर हल जो मुहब्बत से तो
तोप तलवार चलाने की ज़रूरत क्या है।
जो हैं मशहूर बहुत खुद पे तक़ब्बुर जिनको
उनसे उम्मीद लगाने की ज़रूरत क्या है।
भूल बैठा जो तुम्हें उसकी याद में रो के
दिल को हरवक्त जलाने की ज़रूरत क्या है।
देख के जुल्मो-सितम भी जो हैं सोये यारो
ऐसे मुर्दों कों जगाने की ज़रूरत क्या है।
इक तेरा साथ मुकद्दर में ख़ुदा लिख दे तो
फिर भला मुझको जमाने की ज़रूरत क्या है
लब पे हर वक्त गिला और नयन में आंसू
दिल में पत्थर को बसाने की ज़रूरत क्या है।
सीमा पाण्डेय ‘नयन’
देवरिया ( उत्तर प्रदेश )