बेवफ़ा ही सब मिले है

( Bewafa hi sab mile hai ) 

 

है गिला उस दोस्ती से ?
दिल भरा नाराज़गी से

वो नज़र आया नहीं है
आज गुज़रा उस गली से

छोड़ दें नाराज़गी सब
तू गले लग जा ख़ुशी से

ये वफ़ा देती नहीं है
मोड़ लें मुंह आशिक़ी से

गुल उसे दें मैं न पाया
दिल भरा है बेबसी से

लें न पाया हूँ दवाई
आज पैसे की कमी से

प्यार में धोखा मिला है
आंख में आंसू तभी से

बेवफ़ा ही सब मिले है
क्या कहूँ आज़म किसी से

 

शायर: आज़म नैय्यर
(सहारनपुर )

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