नार नवेली दूर खड़ी मुख पर घुंघट डाल | Ghunghat
नार नवेली दूर खड़ी मुख पर घुंघट डाल
( Naar naveli door khadi mukh par ghunghat daal )
नार नवेली दूर खड़ी मुख पर घुंघट डाल।
कब आएंगे साजना कब पूछे मोरा हाल
शरमाती सकुचाती सी रेशम से काले बाल।
गोरी गोरा मुखड़ा दमके नैना तीर कमाल।
प्रियतम प्यारी नार नवेली मेहंदी रचे हाथ।
जीवन साथी हमसफर सदा निभाना साथ।
नाक में नथनी पांव में पायल चूड़ियां खनकाती।
आजा साजन सनम प्यारे दिलबर को लुभाती।
मंद मंद मुस्काता चेहरा चांद को लुभाता सा।
मीठी मीठी मनुहारों से प्रेम सुधा बरसाता जा।
प्रित की झड़ी उमड़े प्रीतम प्यारे मन के मीत।
हाथों के कंगना कहते प्यार भरे बुन लो गीत।
कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )