हमारी जान न लो | Hamari Jaan na Lo
हमारी जान न लो
हमारा दिल तो लिया अब हमारी जान न लो
अज़ाब इतना बड़ा सर पे मेहरबान न लो
मुकर न जायें किसी रोज़ हम मुहब्बत से
हमारे सब्र का इतना भी इम्तिहान न लो
करो तो जंग मुसीबत से तुम अकेले भी
यूँ बार बार हमें इसके दर्मियान न लो
वफ़ा का ज़िक्र हमारा कहीं तो रह जाये
कि अपने हक़ में सनम पूरी दास्तान न लो
मैं झूठ बोलूँ कहाँ तक बताओ तो हमदम
लुभा लुभा के अदाओं से तुम बयान न लो
मुझे भी सच की हिमायत में बोलना है अभी
क़सम खिला के ये मुझसे मेरी ज़बान न लो
अना पे चोट सही जाती अब नहीं साग़र
मेरे ज़मीर से तुम मेरा आसमान न लो
कवि व शायर: विनय साग़र जायसवाल बरेली
846, शाहबाद, गोंदनी चौक
बरेली 243003
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