Harishankar Parsai
Harishankar Parsai

हरिशंकर परसाई

( Harishankar Parsai ) 

 

बाईस अगस्त चौबीस में लिया जन्म जिला होशंगाबाद,
दस अगस्त पिचानवे पाई वफात रहे जीवन भर आबाद।

हंसते हैं रोते हैं, जैसे उनके दिन फिरे हैं संग्रह कहानी,
जवाला और जल, रानी नागफनी नावल है उनकी जुबानी।

प्रेमचंद के फटे जूते,आवारा भीड़ के खतरे ये भी संग्रह निबंध ,
है भूत के पांव, बेइमानी की परत, तब की बात और थी ये भी संग्रह निबंध।

ये हिंदी के प्रसिद्ध लेखक और है व्यंग्यकार,
साहित्य अकादमी से भी मिला है पुरस्कार।

हिन्दी में कहा, हिंदी में लिखा, हिन्दी का दिवाना,
हरिशंकर परसाई था अपना,ना कहो इसे बेगाना।

जो चाहा वहीं लिख देता था और मजदू‌‌रों की कहानी,
कहीं प्रेमिका की कहानी तो कहीं वेश्याओं की कहानी ‌।

आधुनिक युग के कवि थे और थे व्यंग्यकार ,
मध्य प्रदेश में जन्म लिया बने हिंदी के रचनाकार ‌।

कह खान मनजीत इस तरह का ना हुआ है अब तक,
हरिशंकर में नाम हरि का ,जाने बच्चा बच्चा और जन।

 

Manjit Singh

मनजीत सिंह
सहायक प्राध्यापक उर्दू
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय ( कुरुक्षेत्र )

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