हाय री सरकार | Hi Ri Sarkar
हाय री सरकार
( Hi Ri Sarkar )
सड़क पर
निकल पड़ी है
नौजवानों की एक भीड़
बेतहासा
बन्द मुठ्ठी,
इन्कलाब जिन्दाबाद
के नारों के साथ.
सामने खड़ी है
एक फौज
मुकम्मल चौराहे पर
हाथ में लिए
लाठी – डन्डे, आँसू गोले
और
गोलियों से भरी बन्दूकें
चलाने के लिए
मुरझाये चेहरे वाले
नौजवानों पर.
चलाते रहो
लाठी डन्डे, आँसू गोले
और गोलियाँ
कभी तो खत्म होंगी
लेकिन, याद रखना
तुम्हारी जगह होगी
सीखचों के उस पार
हाय री सरकार…!
डिगरियाँ
रह गई
कागज का मात्र एक टुकड़ा
घिस गई
एड़ियाँ
रोजगार के लिए
चक्कर लगाते लगाते.
जो डिगरियाँ
हाँसिल की थी
बूढ़े, बीमार माँ – बाप की सेवा
बहन की शादी
और
एक सुन्दर बीबी के साथ
एक छोटा सा
घर बसाने के लिए.
काश
काश तुम दे सकते
इन दो हाँथों को काम
ये हाँथ,
गुंजायते कल कारखानों को
ये हाँथ,
भर देते अन्न के गोदामों को
ये हाँथ,
फोड़ देती दुश्मन की उन आंखों को
जो घूर रही है
सीमा के उस पार से.
लेखक – आर.डी. यादव
सप्रति उपाध्यक्ष अ.भा.किसान सभा
प्रतापगढ़ इकाई (उत्तरप्रदेश)