हिन्दी दिवस मनाएंगे | Hindi Diwas Manayenge
हिन्दी दिवस मनाएंगे
हिन्दी दिवस मनाएंगे,
हिन्दी का परचम लहराएंगे।
अपने मन की ये अभिलाषा,
जन -जन तक पहुँचाएंगे।
हिन्दी संस्कारों की भाषा,
मन के मनुहारों की भाषा।
शिष्टाचार व्यवहार की पूँजी,
बसी है रग-रग में मातृभाषा।
रसों की रसधार हिन्दी में,
वीरों की हुँकार हिन्दी में।
सात सुरों की सरगम सी,
काव्यों की काव्यधार हिन्दी में।
आओ इसको नमन करें हम,
कुछ तो नया सृजन करें हम।
आत्मसात कर हिन्दी को
महकता फिर चमन करें हम।
कवयित्री: दीपिका दीप रुखमांगद
जिला बैतूल
( मध्यप्रदेश )