हिन्दी हिंद की है बिंदियाँ | Hindi Hind ki Hai Bindiya
हिन्दी हिंद की है बिंदियाँ
हिन्दी हिंद की है बिंदियाँ
सुशोभित है ललाट पर ,
इसकी चर्चा हर होंठों पर
हर हाट और घाट पर ।
हिन्दी हिंद की है बिंदियाँ
सुशोभित है ललाट पर।
देश की शान है यह
हम सब की पहचान है यह,
जो बोलते हैं वही लिखते हैं
भाषा में विज्ञान है यह।
हिन्दी हिंद की है बिंदियाँ
सुशोभित है ललाट पर।
किसी से द्वेष नहीं है इसकी
संस्कृत का संतान है यह,
देशज हो या विदेशज
सभी को दिया स्थान है यह।
हिन्दी हिंद की है बिंदियाँ
सुशोभित है ललाट पर।
कुछ ने इसका तिरस्कार किया
फायदे के लिए इस्तेमाल किया ,
जन आपस में जुड़ न जाए
स्वार्थ हेतु प्रतिकार किया ।
हिन्दी हिंद की है बिंदियाँ
सुशोभित है ललाट पर।
आओ इसके लिए कुछ कार्य करें
यह सुदृढ़ हो सभी प्रयास करें ,
देश और समाज को आपस में जोड़
सभी लोगों का उत्थान करें।
हिन्दी हिंद की है बिंदियाँ
सुशोभित है ललाट पर।
प्रशासनिक भाषा बने यह
आम जन की है अभिलाषा ,
निज भाषा के विकास से
हमारा देश बनेगा विश्व विधाता।
हिन्दी हिंद की है बिंदियाँ
सुशोभित है ललाट पर।
नरेन्द्र कुमार
बचरी (तापा) अखगाॅंव, संदेश, भोजपुर (आरा), बिहार- 802161
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