होली त्यौहार | Holi par Kavita in Hindi
होली
( Holi )
होली में केवल रंग है
अब प्रेम न उमंग है !!
नशा है न मस्ती
रंगो से खाली बस्ती
बस पसरा है सन्नाटा
कहीं न हुड़दंग है …….
होली में केवल…….
बजता नहीं अब गाना
मौसम नहीं फगुआना
बुढ़वा में नहीं हलचल
बच्चों में न तरंग है……
होली में केवल …….
न भोजी करे ठिठोली
ननद को बोले बोली
न भैया में कुछ खुमारी
न देवर का कहीं संग है…..
होली में केवल…..
बस रंग है अबीरा
न बोले कोई कबीरा
रूठे हैं सारे अपने
सपने में जैसे तंग है……
होली में केवल…..
बस ऊपर से रंग भाये
नीचे से दिल जलाए
चेहरे है सारे नकली
असली केवल जंग है….
होली में केवल …….
होली कहाँ अब खास हैं
गुजिया में कहां मिठास है
ठंडई में नहीं ठंडक
नशा से खाली भंग है …..
होली में केवल……