हुनर | Hunar
हुनर
( Hunar )
बेहतर से बेहतरीन की आस है,
मुझको मेरे “हुनर” की तलाश है,
मुझको सारा “आसमान” चाहिए,
अभी तो फ़क़त..ज़मीं मेरे पास है,
दिल के ही”तहखाने” में क़ैद हूँ मैं,
इलाज बेमानी मेरे, ऐसी वैद्य हूँ मैं,
अपने हुनर को चमकाना न आया,
ऐसी कोरे काग़ज़ सी ‘सफेद’ हूँ मैं,
माना कि अभी घड़ी आज़माइश है,
उम्मीद पे खरी उतरुं ये ख़्वाहिश है,
मेरे हाल को मुस्तकबिल न बनने दे,
‘मौला’आपसे बस यही गुज़ारिश है,
मैं ख़ामोश हूँ मेरे अल्फ़ाज़ बोलते हैं,
वर्क-ब-वर्क ये मेरा किरदार गढ़ते हैं,
अब स्याही काली हो या हो वो नीली,
मेरे लफ़्ज़ ज़िंदगी हर रंग में ढलते हैं!
आश हम्द
( पटना )