इंसान हूॅं मैं इंसान हूॅं | Insaan Hoon Main
इंसान हूॅं मैं, इंसान हूॅं
( Insaan hoon main, insaan hoon )
इंसान हूॅं मैं, इंसान हूॅं ।
जितना खुश उतना ही
परेशान हूॅं।।
इंसान हूॅं मैं, इंसान हूॅं…
इक उमर तक नहीं सौ साल तक
लड़ता रहा हूॅं, मैं हर हाल तक
कभी ढूढता हूॅं गुलिस्तां-अमन
कभी फूंक देता हूॅं हॅंसता चमन
अनजान हूॅं मैं,या नादान हूॅं।
इंसान हूॅं मैं, इंसान हूॅं ।।
ये सच है कि मैंने किताबें लिखी
ये भी सच है कि मैंने लड़ाई लड़ी
ये भी सच है कि मैने बसाये है शहर
ये भी सच है कि मैंने पिया है ज़हर
सोचता हूॅं मैं अक्सर तन्हाई में रोशन
मुरख हूॅं मैं या विद्वान् हूॅं
इंसान हूॅं मैं, इंसान हूॅं।
जितना खुश हूॅं,उतना ही परेशान हूॅं।।
रोशन सोनकर
ग्राम व पोस्ट जोनिहां,तहसील बिंदकी,
जनपद फतेहपुर ( उत्तर प्रदेश )