तुम मेरे हो
तुम मेरे हो

तुम मेरे हो

( Tum mere ho )

 

तुम मेरे हो तुम मेरे हो, सुंदर शाम सवेरे हो।
जीवन की बगिया में तुम, खिलते फूल घनेरे हो।

 

मुस्कानों से मोती झरते, प्रेम उमड़ता सागर सा।
महक जाता दिल का कोना, प्रेम भरी इक गागर सा।

 

मधुबन मन का खिलता जाता, प्रियतम तुम मेरे हो।
तुम मेरे हो तुम मेरे हो, जीवन साथी मेरे हो।
प्यार हमारा बोल मीठे, सुहाना सफर जिंदगी का।
साथ अगर तुम रहो सदा तो, डर हमको नहीं किसी का।

 

तुम मेरी जीवन रेखा हो, बहती नैया की पतवार।
सांसो की सुंदर सरगम हो, प्यार भरा मधुर इजहार।

 

तुम गीतों की धुन हो प्यारी, मोहक सुर बहुतेरे हो।
तुम  मेरे हो तुम मेरे हो, मनमोहक तुम मेरे हो।
अमृत प्रेम जलती जोत तुम, जीवन का आधार मधुर।
फूलों का महकता गजरा, सदा खुशबू से भरपूर।

 

तम की घनघोर घटाओं में, प्रभा किरण दमकती हो।
दुनिया के इस रंगमंच में, हमसफर खूब चमकती हो।

 

गीतों की सुंदर लड़ियों में, तुम शब्दों के फेरे हो।
तुम मेरे हो तुम मेरे हो, प्रियतम प्यार मेरे हो।

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कवि : रमाकांत सोनी

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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