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मेरी जन्मभूमि स्वर्ग समान | Janambhoomi par Kavita

मेरी जन्मभूमि स्वर्ग समान

( Meri Janambhoomi swarg saman )

 

वीरों रणवीरो की जननी हम सबका अभिमान है।
हरी-भरी महकती क्यारी ये धरती स्वर्ग समान है।

उत्तर हिमालय अडिग खड़ा बहती गंगा की धारा।
राजस्थान रेतीले धोरे खरा सोने सा निखरे सारा।

संत शूरमां भामाशाह की धरा स्वर्णमयी खान है।
सबसे प्यारा देश हमारा जन्मभूमि स्वर्ग समान है।

सद्भावो की बहती है धारा घट घट उमड़ता प्यार है।
अपनापन अनमोल सलोना घट-घट आदर सत्कार है।

अतिथि हम देव मानते पत्थर भी पूजे जाते हैं।
जहां बड़ों की सेवा होती संस्कार उनसे पाते हैं।

हाल-चाल पीर समझते सुख दुख में साथ निभाते।
प्रेम की गंगा बहाकर हम उजियारा जग में लाते।

होली दिवाली पर्व जहां चारों धाम तीर्थ स्थल है।
गंगा जमुना संगम होता सौहार्द का सुखद पल है।

त्याग तपस्या भावों से भारत भू कण कण महके।
जहां प्रेम की वर्षा होती भाव भरा हर मन चहके।

रामकृष्ण राणा की भूमि तलवारों का जयघोष जहां।
केसरिया बाना दमके वीर शिवाजी सुभाष बोस यहां।

स्वाभिमान संतो की धरती जहां वीरों का वंदन है।
स्वर्ग से सुंदर जन्मभूमि कण कण पावन चंदन है।

 

कवि : रमाकांत सोनी

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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