झाडू | Jhadu | Kavita
झाडू
( Jhadu )
उठ कर सुबह पहला काम…||
1.सुबह हुई फिर नींद खुली, और हांथ मे ले ली जाती है |
सबसे पहले उठ सुबह सबेरे, हर रोज घसीटी जाती है |
आंगन कमरे दहलानों का, सब कूडा इकठ्ठा करती है |
काम खतम कर सब अपना, कोने मे रक्खी रहती है |
उठ कर सुबह पहला काम…||
2.नारियल खजूर के पत्तों से, झाडू बनकर तैयार हुई |
लोहे की नुकीली कीलों से, छिल के पतली सुमार हुई |
एक खास घांस है फूल दार, झाडू बन कर के फूल हुई |
प्लास्टिक के पतले रेसों से बन, कई रंगों मे तैयार हुई |
उठ कर सुबह पहला काम…||
3.हैं सींक की झाडू बडी-बड़ी, सफाई-कर्मी रखते हैं |
हर रोज सुबह गलियारों को, चम-चम साफ करते हैं |
किस्मत तो देखो झाडू की, खुद गंदी हो घर साफ करे |
दिल नहीं बुरा है झाडू का, खुद टूटे सब को माफ करे |
उठ कर सुबह पहला काम…||
4.कोई नजर उतारे झाडू से, कोई घर आंगन चमकाता है |
कोई लेकर दौडे मारने को, कोई हांथ मे उठाकर डरता है |
कोई बुरा कहे कोई भला कहे, पर झाडू अपना काम करे |
कोई शुभ-अशुभ के चक्कर में, झाडू को ही बदनाम करे |
उठ कर सुबह पहला काम…||
कवि : सुदीश भारतवासी