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झंडा फहरायें | Jhanda Fahraye

झंडा फहरायें!

( Jhanda fahraye )

 

स्वतंत्रता दिवस फिर आया रे ! चलो झंडा फहरायें।

             झंडा फहरायें और  झंडा लहरायें, (2)

एकता की ज्योति जलायें रे ! चलो  झंडा फहरायें।

            शहीदों के पथ पर आओ चलें हम,

            जान हथेली  पर लेकर  बढ़ें  हम।

जोश  लहू  का  दिखाएँ  रे !  चलो  झंडा  फहरायें।

स्वतंत्रता दिवस फिर आया रे ! चलो झंडा फहरायें।

         आज़ादी की ज्वाला में  कितने जले हैं,

          फांसी  के  फंदे  पर  कितने  झूले  हैं।

वो नदियों खून बहाये रे ! चलो झंडा फहरायें।

 स्वतंत्रता दिवस फिर आया रे ! चलो झंडा फहरायें।

           गोली   की  बारिश  से  रोज  नहाते,

           सरहद  पर   अपनी   जान  लुटाते।

वतन की  आबरू  बचाएँ रे ! चलो झंडा  फहरायें।

स्वतंत्रता दिवस फिर आया रे ! चलो झंडा फहरायें।

          कोई  यहाँ  विष  बीज  न  बोना,

         अंश जमींन का भी तू ना खोना।

आ सोने की चिड़िया बनायें रे !चलो झंडा फहरायें।

स्वतंत्रता दिवस फिर आया रे! चलो झंडा फहरायें।

         माँ भारती का  कितना  दुलार है,

         उसके आँचल से छोटा संसार है।

आन-बान-शान हम बचाएँ रे ! चलो झंडा फहरायें।

स्वतंत्रता दिवस फिर आया रे !चलो झंडा फहरायें।

           सूरज   बाँध   के  कोई   ना  सोये,

           उजालों की खातिर कोई ना  रोये।

समानता की गंगा बहायें रे !चलो झंडा फहरायें।

 

रामकेश एम.यादव (रायल्टी प्राप्त कवि व लेखक),

मुंबई

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