झूठा ज़रूर निकलेगा

झूठा ज़रूर निकलेगा | Jhutha Zaroor Nikalega

झूठा ज़रूर निकलेगा

( Jhutha Zaroor Niklega )

तेरा ये फ़ैसला झूठा ज़रूर निकलेगा
कुसूरवार जो था बेकुसूर निकलेगा

यक़ीं है शोख का इक दिन ग़ुरूर निकलेगा
वो मेरी राह से होकर ज़रूर निकलेगा

पलट रहा है वरक़ फिर कोई कहानी के
न जाने कितने दिलों का फ़ितूर निकलेगा

पिला न साक़िया अब और जाम रहने दे
अभी दिमाग़ में बाक़ी सुरूर निकलेगा

हमारे ख़ूं का मुक़दमा गया अदालत तो
तुम्हारे नाम का सारा ज़हूर निकलेगा

घटाएं लाख गरजती हैं देखना फिर भी
फ़लक को चीर के सूरज का नूर निकलेगा

किसी भी ख़ौफ़ की परवाह क्यों हमें साग़र
ये आप सोचिये किसका कुसूर निकलेगा

Vinay

 

कवि व शायर: विनय साग़र जायसवाल बरेली
846, शाहबाद, गोंदनी चौक
बरेली 243003

यह भी पढ़ें:-

घर नहीं मिला | Ghazal Ghar Nahi Mila

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *