जिन्दगी ही मेरी मुझसे दूर है | Urdu shayari on Zindagi in Hindi
जिन्दगी ही मेरी मुझसे दूर है
( Zindagi hi meri mujhse dur hai )
जिन्दगी ही मेरी मुझसे दूर है
कुछ तो बोलो मेरा क्या कुसूर है
तुम बनाइ हो जो दूरियां मुझसे
बात कुछ ना कुछ तो ज़रूर है
मैं कैसे चलूं जिन्दगी का सफर
तेरे बगैर दो कदम भी कोसों दूर है
कुछ तो कहो अपनी खामोशी तुम
वफा तोड़ने को तु कितनी मजबूर है
मुझे पता नही कुछ तेरे दिल की
अपने दिल मे तो बस तेरा सुरूर है