Hindi Ghazal Poetry | काम किया हर पल पेचीदा
काम किया हर पल पेचीदा
( Kaam Kiya Har Pal Pechida )
काम किया हर पल पेचीदा
खुशियाँ देकर दर्द ख़रीदा
दूर गये हो जिस दिन से तुम
रहता हूँ तब से संजीदा
जब देखा मज़हब वालों को
टूट गया हर एक अक़ीदा
कैसे ख़ुश रह पाऊँ बोलो ?
कोई मुझमें है रंजीदा
सोच रहा हूँ पढ़ ही डालूँ
तेरी शान में एक क़सीदा
मैं क्या हूँ ,वो जान गया है ?
कोई मुझमें है पोशीदा
दुख ही देखा तब हर शय में
जब अहसास हुआ अंजीदा !