कल की खबर नहीं | Kal ki Khabar Nahi
कल की खबर नहीं!
( Kal ki khabar nahin )
कल की खबर नहीं देख तू मेरे साथ चल,
जिन्दगी की है डगर कठिन मेरे साथ चल।
फिजाओं में घुली है आज चारों तरफ भांग,
कल कोई फूल बिछाए न बिछाए साथ चल।
जिन्दगी का सफर है देखो बहुत ही बड़ा,
कल चराग़-ए-दिल जले ये न जले साथ चल।
मेरे इश्क की आबरू बता बचाएगा कौन?
तू है मेरी पहली मोहब्बत मेरे साथ चल।
दुनिया को न भनक लगे तेरी-मेरी दोस्ती की,
कोई हम पर फेंके न जाल, मेरे साथ चल।
लोग लूट के भी नहीं हैं खुश मेरी अश्कों को,
फ़साने को बनाएँगे फ़साना, मेरे साथ चल।
ज़ख्म देना तो दुनिया की है पुरानी आदत,
तेरे झीने वस्त्र में झाँकेंगे मेरे साथ चल।
तेरी जुल्फों में रोज नया गुलाब टॉकूँगा,
मैं करूँगा तेरी इबादत तू मेरे साथ चल।
मुझे डर है कोई उजाड़ न दे मेरी दुनिया,
अपने ही साये से डर रहा मेरे साथ चल।
मुझमें भी होगा ऐब, नभ से नहीं उतरा,
तू कर न मुझे बे-ख्वाब आ मेरे साथ चल।
रामकेश एम.यादव (रायल्टी प्राप्त कवि व लेखक),
मुंबई