कवि सत्य बोलेगा | Kavita
कवि सत्य बोलेगा
( Kavi satya bolega )
देश की शान पर लिखता देश की आन पर लिखता
देशभक्ति दीप जला राष्ट्र उत्थान पर लिखता
आंधी हो चाहे तूफान लेखक कभी ना डोलेगा
सिंहासन जब जब डगमगाए कवि सत्य बोलेगा
झलकता प्यार शब्दों में बहती काव्य अविरल धारा
लेखनी रोशन करे कमाल जग करती उजियारा
महंगाई भ्रष्टाचार बढ़े कोई तो मुख को खोलेगा
कविता समाज का दर्पण मुखर कवि सत्य बोलेगा
कविता महफिल महकाती सोए शेर जगा देती
अंधेरों में आशा की लौ बंन सही मार्ग दिखा देती
शारदे साधक सदा सच्चा सच के तराजू में तोलेगा
आंच आए अगर वतन को कवि सत्य बोलेगा
कलम सत्ता को संभाल हिफाजत करती वतन की
कलम मुखरित हो स्वर बनती आवाज जन-जन की
पुरस्कार मिले या दंड राज राष्ट्रहित में खोलेगा
सदा अन्याय के विरुद्ध कवि सत्य बोलेगा
कलम का करिश्मा देख दिग्गज हिल जाते सारे
कलम जब हो कहीं खड़ी आए तूफान बहुत सारे
सद्भावो के फूल खिलाकर प्रेम के मोती टटोलेगा
देकर सच्चाई का साथ सदा कवि सत्य बोलेगा
चंद चांदी के सिक्कों में लेखनी बिक नहीं सकती
सच के सामने हमेशा बुराई टिक नहीं सकती
वाणी आराधक कलमकार मन के भेद खोलेगा
समाज को दिखाने आईना सजग कवि सत्य बोलेगा
कवि : रमाकांत सोनी
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )
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