आनंद के पल | Kavita Anand ke Pal
आनंद के पल
( Anand ke Pal )
जीवन की खुशीयों का मोल समझो।
अपने परायें के सपनों को समझो।
प्यार मोहब्बत की दुनिया को समझो।
और समय की पुकार को समझो।।
मन के भावों को समझते नही।
आत्म की कभी भी सुनते नही।
दुनिया की चमक को देखते हो।
पर स्वयं को स्वयं में देखते नही।।
लक्ष्य से भटका इंसान क्या करेगा।
जिंदगी को किस ओर मोड़ेगा।
क्या जमाने में स्थापित हो पायेगा।
या जीवन भर बस भटकता रहेगा।।
जिंदगी जीने की तुम कला सीखो।
आनंद के पलों को महसूस करो।
दुख के क्षणों को भूलकर देखो।
और स्वयं को वर्तमान में देखो।।
जय जिनेंद्र
संजय जैन “बीना” मुंबई