Kavita Anjan Masi se Likhoon main Paati

अंजन मसि से लिखूं मैं पाती | Kavita Anjan Masi se Likhoon main Paati

अंजन मसि से लिखूं मैं पाती

( Anjan masi se likhoon main paati )

 

अंजन मसि से लिखूं मैं पाती शब्द सुमन हार लिए।
मनमंदिर में दीप ज्योति ले घट घट जलाऊं प्रेम दीए।

मुस्कानों के मोती बांटू सद्भावो की नेह धारा।
हर्ष खुशी आनंद बरसता महके उपवन सारा।

प्रेम प्यार की सरिताये उमड़े भाव सिंधु बलखाए।
झूम उठे खुशियों से चेहरे मधुमास महकता आए।

रंग बसंती लहराता सा मन की वादियां चहके।
मधुर तराने गीत सुहाने बोल धर्म सुहाने महके।

 

रचनाकार : रमाकांत सोनी सुदर्शन

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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