जी लो कुछ पल खुद के लिए | Kavita jee lo kuch pal khud ke liye
जी लो कुछ पल खुद के लिए
( Jee lo kuch pal khud ke liye )
जीवन का आनंद लूट लो, मिले चाहे कुछ पल के लिए।
खुशियों से झोली भरो, जी लो कुछ पल खुद के लिए।
प्रेम का सागर बन जाओ, भाव सिंधु भरकर हिलोरे।
बुलंदियों का आसमां छू लो, मुश्किलों के काटो डोरे।
मुस्कानों के मोती बरसे, हर्षित हृदय रस पान पीए।
कर्मो से जीवन महके, जी लो कुछ पल खुद के लिए।
हंसते गाते चलो राहों में, हंसो और हंसाओ सबको।
हौसलों की उड़ानें भर, मौज मनाएं मौसम मस्त हो।
जिंदगी के हर मोड़ पे, लो जलाओ आशाओं के दीए।
रोशन हो कोना कोना, जी लो कुछ पल खुद के लिए।
कभी-कभी थोड़ा सुस्ता लो, हसी वादियो से मुस्का लो।
खिले चमन की मस्त बहारें, पर्वत नदियां से बतला लो।
बनो आईना जीवन पथ पे, खुशहाली के पैगाम लिए।
प्रेम का बहता झरना हो, जी लो कुछ पल खुद के लिए।
रचनाकार : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )