कर्म से तू भागता क्यों | Kavita Karm
कर्म से तू भागता क्यों ?
स्त्री चूल्हा मिट्टी का हो या गैस का रोटी बनाते समय उँगलियाँ मेरी ही जली है जली उँगलियों के साथ चेहरे पर मुस्कान लिए तुम्हारी स्वादिष्ट थाली मैंने ही हमेशा सजाई है जब जाते तुम काम पर सारे दिन की थकान भूला शाम को दरवाज़े पर मेरी ही निगाहें तुम्हें खोजती हैं गर्भ धारण से…
हर घर-घर में लगा तिरंगा हर घर-घर में लगा तिरंगा, डोले अपनी शान में, हर दिल-दिल में बसा तिरंगा, बोले अपने मान में, देखो लाज तुम्हारी हूँ मैं, रखना सदा ये ध्यान में, हर घर-घर में लगा तिरंगा, डोले अपनी शान में, भारत माँ का वसन हूँ मैं, ढँकता उसकी लाज, देशभक्त के साहस का,…
वह बचपन की याद पुरानी ( Woh bachpan ki yaad purani ) दही बिलोती दादी नानी नहीं रही वह कथा कहानी कहां गई पीपल की छांव वो बचपन की याद पुरानी सावन के झूले कहां अब कहां बरसता टिप टिप पानी बहुत सुहानी लगती हमको वो बचपन की याद पुरानी निकर पहन स्कूल…
करगिल जंग! ( Kargil Jung ) युद्ध के उस रंग में, दुश्मन के साथ जंग में, बहादुरी दिखा रहे थे हमारे रणबाँकुरे। टाइगर हिल हो या हो द्रास की वो पहाड़ियों, फिर से उसको हासिल कर रहे थे रणबाँकुरे। एटम-बम को जो गहना पहनाकर वो बैठे हैं, अधोपतन का उत्तर वो दे रहे थे…
बचा लो खुदा ( Bacha lo Khuda ) बचा लो खुदा मेरी दुनिया को आकर, देखा नहीं तूने लाशों को जाकर। साया वो मौत का पीछे पड़ा है, नाटो के साथ देखो वो भी खड़ा है। तबाही का मंजर बहुत ही बुरा है। पीछे पड़ा दुश्मन हाथों को धोकर, देखा नहीं तूने लाशों को…
मुस्कुराहट ( Muskurahat ) हजार गमों की महफिल में, तू मुस्कुराहट को न्योता दिया कर।। नम हुई आंखे तेरी, दिल को सताती है, मुकुराहट तो दिल का सुकून कहलाती है।। ऐ दोस्त , तेरी उदास आंखे, बहुत दिल में हलचल मचाती है, तू बस हंस दे, तो सारी कायनात खुशियां मनाती है।। ज़िंदगी के…