कर्म से तू भागता क्यों | Kavita Karm
कर्म से तू भागता क्यों ?




कृष्ण ( Krishna ) सूर्य से चन्द्र में आए कृष्ण, बाल रूप दिखाए कृष्ण। काल-कोठरी में लिए जनम, माखन, माटी खाए कृष्ण। ब्रह्मांड दिखाए यशोदा जी को, नन्द की गाय चराए कृष्ण। राधा -मीरा दोनों ने चाहा, प्रेम की ज्योति जलाये कृष्ण। एक दरस दीवानी, एक प्रेम दीवानी, प्रीति का स्वाद चखाए कृष्ण। प्रेम…

हरतालिका तीज आई है ( Hartalika teej aayi hai ) मनोरम भाद्रपद शुक्ल तृतीया, शिव पार्वती गणेश उपासना । निर्जला व्रत शीर्ष बेला, परमता स्पर्श मनोभावना। अनूप सनातनी आभा तले , धर्म आस्था अनंत छाई है । अखंड सौभाग्य का वर देने, हरतालिका तीज आई है ।। पुनीत पावन अभिलाषा, अंतर्मन अप्रतिम निखार ।…

उसूल ( Usool ) हर हर मोड़ पर तुम्हें साथी नहीं मिलेंगे परिचितों के कुनबे में पहचान तुम्हें ही बनानी होगी कुछ के साथ तुम्हें चलना होगा और कुछ को अपने साथ चलाना होगा जन्म से पहले तुम्हें कौन जानता था शुरुआत तुम्ही ने की थी कभी मुस्कराकर कभी रोकर लोग जुड़ते गए तुमसे…

राखी का त्यौहार निराला ( Rakhi ka Tyohar Nirala ) राखी का त्यौहार निराला ,जाने ये संसार। सावन की है देख पूर्णिमा ,आनंदित परिवार।। माथे तिलक लगाकर भाई ,बहना चूमे माथ। बाँध कलाई रक्षा बंधन,पाती उसका साथ।। रक्षा बंधन सूत्र नेह का ,पावन होती डोर। वचन भ्रातृ रक्षा का देता ,होकर भाव विभोर। रंग बिरंगी…

झमाझम बारिश ( Jhamajham Barish ) देखो देखो बारिश का मौसम है आया। सुहाना मौसम ये सबके मन को भाया। काले काले घनघोर बादल नभ में छाए। गर्मी से व्याकुल पशु पक्षी देख हर्षाए। पेड़ पौधे नव पुष्पों से हुए आच्छादित। जीव जगत के हृदय देख हुए हैं पुलकित। बारिश की बूंदें तन मन को…

हम दो ( Hum do ) जहांँ हम दो हैं वहीं है परिवार सारा साज- श्रृंँगार सुरक्षा और संस्कार। जब साथ होते हैं सुकून में भीगे-भीगे लम्हात होते हैं नेह का मेह बरसता है खुद पर विश्वास आशाओं का आकाश होता है। दौड़ती -भागती जिंदगी में ये अल्पविराम अभिराम होता है इन पलों में जैसे…