कर्म से तू भागता क्यों | Kavita Karm
कर्म से तू भागता क्यों ?
राम नवमी ( Ram Navami ) भक्तवत्सल सत्य अविरल भूमिजा सुखधाम आये। अयोध्या में राम आये,अयोध्या में राम आये।। थी धरा सहमी हुयी बहु पापियों के पाप से, हे प्रभू आकर बचालो इस विकट संताप से, त्रास अवनी की मिटाने संतप्रिय श्रीधाम आये।। अयोध्या में राम ०।। नवमी तिथि नखत पुनर्वसु शुक्ल पक्ष विचार…
भूले से चेहरे ( Bhoole se chehre ) भूले से चेहरे कितने ही, आँखों में घिर आए हैं ! अपना भी चेहरा है उनमें, या हम फिर भरमाए हैं !! प्रातः कीआशा बन आये, हैं जग में कब से उजियारे लेकिन अबभी अन्धियारों से,भरे हुए घरके गलियारे मैं अपने आँगन में बैठा…
तुम्हें मनाने आया हूं ( Tumhe manane aaya hun ) दीन दयाल दया के सागर तुम्हें मनाने आया हूं शब्दों के मोती चुनकर फूल चढ़ाने लाया हूं हे जग के करतार सुनो केशव माधव दातार सुनो करुणा के सागर आप प्रभु अब दीनों की पुकार सुनो कुछ चमत्कार हरि कर दो दूर …
सर्वप्रथम वास्तुकार है विश्वकर्मा ( Sarvapratham vastukar hai vishwakarma ) दुनियां के सर्व प्रथम, वास्तुकार विश्वकर्मा, १७ सितम्बर को जन्में भगवान विश्वकर्मा। हर वर्ष कन्या संक्रांति को मनातें है जयंती, कर्म प्रधान है पहले इन्जिनियर विश्वकर्मा।। इस दिन हम करते है इनका विशेष भजन, अस्त्र-शस्त्र उद्योग मशीन व फैक्ट्री पूजन। वास्तुदेव की अंगिरसी पत्नी…
चरण स्पर्श क्यों ( Charan Sparsh ) एक हि अग्निपिंड से है बना ब्रम्हांड होता रहता इनमे अखंड नाद रहती इक दूजे मे ऊर्जा सदा प्रवाहित करती आदान प्रदान निज गुणों के साथ होता कण कण प्रभावित इक दूजे से होकर देह से विसर्जित हो जाती वसुधा मे सिर शिखा से हो पद तल…
ख़ुद को आवाज़ लगाकर देखें ख़ुद को , आवाज़, लगाकर देखें ।फिर से , ख़ुद को पाकर देखें ।खोई हैं , जितनी मुस्कानें ।जीवन में ,फिर लाकर देखें ।गीत अधर से , छूट गए जो ।उनको , गुनगुना कर देखें ।अंतस में ,छाया जो अंधेरा ।आओ उसे, मिटाकर देखें ।टूटी हैं ,जितनी उम्मीदें ।सब में…