नया साल | Poem Naya Saal
नया साल
( Naya Saal )
सर्द सी
इस शाम में
सोचा कुछ
तेरे नाम
लिख दूँ…..
शायद
लफ्ज़ों की
गर्मी से
पिघल जाये
जमी है जो
बर्फ
तेरे मेरे
दरमियां
गिले शिकवे
जो हो ‘ गर
चले जायें
साथ ही
जाते हुये
साल के….
क्यों न
आगाज़ करें
इक नये
रिश्ते से
आने वाले
साल को
इक नये
एहतराम से…..
लेखिका :- Suneet Sood Grover
अमृतसर ( पंजाब )