नई ऐसी पहचान बनों | Kavita nayi aisi pehchan bano
नई ऐसी पहचान बनों
( Nayi aisi pehchan bano )
आसान राहों पर नही मुश्किल राहों पर चलो,
आसमान को चीरकर नई ऐसी पहचान बनों।
भले परेशानियाें का दौर हो या पथरीला-पथ,
बनकर चमको रोशनी सा सच्चे इन्सान बनों।।
सब-कुछ हासिल कर लेते वो मेहनती इंसान,
कहानी ऐसी लिख देते और बन जाते महान।
दृढ़ निश्चय मन में रखें वो करतें स्वप्न साकार,
मन से नहीं मनोबल से छूते व्योम-आसमान।।
एक-दूजे को देखकर कोई किसी से न जलो,
निर्धन के दुख-दर्द में साथी तुम मरहम बनो।
इस मानवता का फर्ज भी तुझको है निभाना,
परिस्थितियां कैसी भी रहें कभी ना घबराना।।
लक्ष्य-लगन मुश्किल को भी सरल बना देती,
यह इन्सानियत इन्सान को इंसान बना देती।
गिर जाएं एक साथ स्याही तों दाग बना देती,
अगर चले वो कागज़ पर पहचान छोड़ देती।।