Pyar bhari kavita in Hindi
Pyar bhari kavita in Hindi

कमल पुष्प पल्लवित हो

( Kamal pushp pallavit ho ) 

 

मंद पवन का सरगम हो
जल की सतह स्थिर हो

खामोशी का आलम हो
जल के अंदर हलचल हो

पंछियों का कलरव हो
भागी भागी जिंदगी से

दो पल तेरा साथ हो
ना मैं बोलूं ना तू बोले

चट्टानों पर बैठ कभी
प्रकृति का आलिंगन हो

खिले फूल सरसों के
मन मेरा आच्छादित हो

 

 

डॉ प्रीति सुरेंद्र सिंह परमार
टीकमगढ़ ( मध्य प्रदेश )

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1 COMMENT

  1. दा साहित्य का अनंत कोटि धन्यवाद जिन्होंने मेरी रचना को स्थान दिया

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