जय तुलसी मैय्या | Kavita Tulsi Maiya
जय तुलसी मैय्या
( Jay Tulsi Maiya )
बड़ा ही सुन्दर बड़ा ही पावन है यह त्योंहार,
माॅं लक्ष्मी धरा पधारी लेकर तुलसी अवतार।
कार्तिक शुक्ल-पक्ष एकादशी दिन शानदार,
आशीष भक्तों पर बरसता इसरोज भरमार।।
मंगल कार्यों का इस-रोज से होता शुरुआत,
तुलसी-द्वार सालिगराम पधारे लेकर बारात।
भक्ति की पावन प्रथा नाचते गाते सारी रात,
देवता भी ख़ुशी मनाते करते पुष्प बरसात।।
पीतांबर चुनरी औढ़ाके करते तुलसी श्रृंगार,
पुष्पों से मण्डप को सजाकर करते है तैयार।
सभी घरों में तोरण लगाते महिमा अपरंपार,
विपदाएं सबकी हरती है तुलसी माॅं संसार।।
एकादशी ख़ास है यह तुलसी पूजा का दिन,
शादी-सगाई गृहप्रवेश एवं बच्चों का मुण्डन।
धार्मिक कार्य हो जाते निर्विघ्न सभी सम्पन्न,
सुख-समृद्धि का सब घर में होता आगमन।।
धूप दीप व पुष्प चढ़ाकर करते हरि गुणगान,
रूप जलंधर का धरे इसदिन विष्णु भगवान।
केला सेव मौसमी जिनके चढ़ाते है पकवान,
हिंदूओं में तुलसी पूजा का ख़ास है विधान।।