लड़की हूँ तो क्या हुआ | Ladki hun to kya hua | Kavita
लड़की हूँ तो क्या हुआ
( Ladki hun to kya hua )
दुनिया में पीड़ा बहूत है
कब तक तु अपने दुखों को गाएगी
इस मतलब भरी दुनिया में
क्या तु अपने लिए सहारा ढूँढ पाएगी
अकेली निकल उजाले की खोज में
अंधकार भी पीछे छूट जाएगा।
और जहाँ तक बात रही
मुश्किलो की ,उसे तेरा डर डराएगा
इन गुमनाम रास्तों में कोई न कोई
सूरज बन राह दिखाएगा।
और जिस दिन तेरे कदम डग मगाए
उस दिन गगन भी कप कपाएगा।
कभी न कभी यह दुनिया
तेरे ऊपर सवाल उठाएगी।
कह देना कि “में लड़की हूँ तो क्या हुआ ?
क्या रसोई ही मेरी पहचान बनी रे जाएगी।
❣️
लेखक : दिनेश कुमावत
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