माँ के साथ | Maa ke Sath
माँ के साथ
( Maa ke sath )
देख लो ढूंढ लो कोई दिख जाए तो दिखा देना,
इक माँ जैसा कोई दूजा मिल जाए तो बता देना!
नहीं चाह रखती है कभी माँ हमारे पैसों की,
हो सके तो थोड़ा समय माँ के साथ बिता देना।
मैं जानता हूँ भाई बहुत ही बिजी शेड्यूल है तुम्हारा,
अपने व्यस्त जीवन से थोड़ा समय निकाल देना।
राह तकती रहती पूरे महीने तुम्हारे आने की,
हो सके तो चंद घड़ियां माँ के साथ गुजार देना।
भूल जो मुझसे हो गई उसे मत दोहराओ तुम,
व्यर्थ हो गया मेरा जीवन तुम अपना संवार लेना।
कवि : सुमित मानधना ‘गौरव’
सूरत ( गुजरात )