महामारी | Kavita
महामारी
( Mahamari )
विकट समय में आज परीक्षा मानवता के नाम की
चंद सांसों का खेल सारा संपदा किस काम की
भूखे को भोजन मिल जाए क्या करना भंडार का
अच्छे कर्मों की चर्चा चलती कहना है संसार का
रोगी को दवा और सेवा मिल जाए अच्छी बात
मानवता अब गर्त में सोई लोग लगाते घाट
दिल खोलकर ताला खोलो लबों की जबान का
बहुत फर्क पड़ता है घर में मुखिया की मुस्कान का
कोई अपना मुश्किल में हो हाथ बटाना तुम जाकर
रहो दूर अपनों से लेकिन रहना प्रेम सदा जताकर
आज फिजा में जहर घुला है सावधान हो रहना
दो गज दूरी आपस में और मास्क मुख पर रखना
यह भी दौर बड़ा मुश्किल का आखिर चला जाएगा
वक्त नाजुक काल संक्रमण कहीं कोई छला जाएगा
कवि : रमाकांत सोनी
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )