मनाने की बहुत कोशिश हो रही है

मनाने की बहुत कोशिश हो रही है | Ghazal Manane ki Koshish

मनाने की बहुत कोशिश हो रही है

( Manane ki bahut koshish ho rahi hai )

 

 

मनाने की बहुत कोशिश हो रही है

बड़ी  उससे  गुज़ारिश  हो रही है

 

मुहब्बत  के  खिलेंगे  फ़ूल कैसे

यहां नफ़रत की आतिश हो रही है

 

तवारिश एक मुझसे है उसे तो

औरो की तो सिफ़ारिश हो रही है

 

गैरो  जैसे  करे  वेवार  मुझसे

अपनों को तो नवाज़िश हो रही है

 

अदूँ  तो  डर  रहे इतनी मुझसे ही

ख़िलाफ़ मेरे बड़ी साज़िश हो रही है

 

मुहब्बत का लेगा क्या  फ़ूल मुझसे

उसे  आज़म   तवारिश  हो  रही है

 

शायर: आज़म नैय्यर

(सहारनपुर )

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