मेरे गुरुवर | Mere Guruvar
मेरे गुरुवर
( Mere Guruvar )
मुझको गुरुदेव का सहारा है ।
राह में मेरी यूँ उजाला है ।।१
राह टेढ़ी लगी मुझे जब भी ।
पार गुरुदेव ने उतारा है ।।२
अब नहीं डर किसी भी दरिया का ।
हमने गुरुदेव को पुकारा है ।।३
नाम गुरुदेव का लिया जैसे
मुझको फिर मिल गया किनारा है ।।४
नाम उनका लिए बिना अब तो
मेरा होता नहीं गुज़ारा है ।।५
जाके मंदिर भी क्या करूँ अब मैं
जब शरण उनके ही शिवाला है ।।६
उनकी तारीफ़ में कहूँ क्या मैं
जिनकी ग़ज़लो का बोलबाला है ।।७
नाम उनका बडे अदब से लो ।
उनका ज़लवा जहाँ में आला है ।।८
नाम उनका प्रखर विनय साग़र ।
दिल ये जपता उन्हीं की माला है ।।९
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गुरुवर की पुस्तक पढ़ी , आया फिर आनंद ।
क्या बतलायें आपको , इतने सुंदर छन्द ।।
इतने सुंदर छन्द , लिखे गुरुदेव हमारे ।
बाबा है उपनाम , द्वार जिस आज पधारे ।।
बनूँ उन्हीं का शिष्य , दिए वह मुझको यह वर ।
उनके जैसा देख , न मिलता जग में गुरुवर ।।
आज शरण गुरुदेव के , आया है आनंद ।
सीख रहे रहकर शरण ,अब हम दोहा छन्द ।।
करूँ नमन गुरुदेव को , मैं तो आठों याम ।
बाद उन्हीं के है अधर , सुन लो प्रभु का नाम ।।
मातु-पिता के बाद जो , समझ रहे संतान ।
यह ही वह गुरुदेव हैं , जिनका करूँ बखान ।।
हमने तो गुरुदेव को , अब दिया हृदय स्थान ।
नित्य करूँ मैं वंदना , मान उन्हें भगवान ।।
महेन्द्र सिंह प्रखर
( बाराबंकी )
( गुरुपूर्णिमा के पावन पर्व पर आदरणीय गुरुदेव विनय सागर जायसवाल जी को बहुत बहुत बधाई एंव शुभकामनाएं )