मेरी बीवी मायके चली गई | Meri Biwi Maike Chali Gayi
मेरी बीवी मायके चली गई
( Meri biwi maike chali gayi )
आठ दस दिन ही सही वो आफतें सारी भली गई।
अब मौज मस्ती मर्जी मेरी बीवी मायके चली गई।
ना कोई टोका टोकी होगी ना कोई रोका रोकी होगी।
कोई खलल नहीं लेखन में मेरी कविता चोखी होगी।
आंखों का पहरा रखती हो मात-पिता की गली-गई।
मैं खुशियों के दीप जलाऊं बीवी मायके चली गई।
सुनते हो सुनते कहकर कितने काम करवाती वो।
मैं मनमौजी गृहस्थ आदमी थोड़ा सा सुस्ताती वो।
अच्छा खासा मौका आया सासू मां ने उसे बुलाया।
अब अपना राज चलेगा जो मन होगा वही पकाया।
फरमानों की झड़ी बारिश घनघोर घटाएं चली गई।
गीतो कि लड़िया लिखूं मेरी बीवी मायके चली गई।
कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )