मेरी माँ

मेरी माँ | Meri Maa Par Kavita Hindi Mein

मेरी माँ

( Meri Maa )

( 3 ) 

दर्द भी दवा बन जाती है, तेरे पास आकर,
रोती आँखें भी मुस्काती है, तेरे पास आकर,

मंज़र-ए-क़यामत है,आँचल में तेरी ठंडी हवा,
क्योंकि जन्नत भी रुकती है, तेरे पास आकर,

कैसे बताऊँ किस कदर मोहब्बत है तुमसे माँ,
ज़िंदगी भी ज़िंदगी लगती है, तेरे पास आकर,

ये दुनिया तो बस ठोकरें ही लगाती है मुझको,
मेरे दर्द को आराम मिलता है,तेरे पास आकर,

हँसी के नकाब में छुपाए हैं ग़म कितने ही मैंने,
यह आँखें ज़ार-ज़ार रोती है, तेरे पास आकर!

Aash Hamd

आश हम्द

पटना ( बिहार )

( 2 )

मेरी माँ तो एक खूबसूरत एहसास है
उसके प्यार, दुलार से जीवन मेरा खुशहाल है।
माँ के चरणों में है जन्नत
पूरी होती हर मेरी मन्नत,
जीवन होता मेरा उन्नत ,
सिर्फ़ उसका ही आशीर्वाद है।
मेरी माँ तो एक खूबसूरत एहसास है

समझ है जाती क्या है ख़्वाहिश ,
न होती देती ख़ुशियों की काहिश /कमी
बचा लेती मुझको हर फ़ाहिश /अत्यंत बुरा
दुआ है करती बारम्बार है
मेरी माँ तो एक खूबसूरत एहसास है

बड़ी हो गयी कब न जाना ,
उसकी ममता के आँचल में
फिर भी मैं अब भी बच्ची हूँ,
उसके जीवन के आँगन में।
रख सीने पर रख सर अपना
याद आरहा वो मखमली एहसास है
मेरी माँ तो एक खूबसूरत एहसास है।

काला टीका बुरी नज़र न लगने देता,
आशीष उनका बिगड़े काम है पूरा करता।
जो कुछ अच्छा है मुझमें ,
सारे उनके दिए हुए संस्कार हैं
मेरी माँ तो एक खूबसूरत एहसास है।

माँ से ही अस्तित्व मेरा है ,
माँ ही तो भगवन मेरा है
त्याग तपस्या की मूरत है,
सारी ख़ुशियों की मेला है।

ख़ुशनसीब हूँ मैं देखो कितनी ,
माँ का साथ अभी तक जो है
सच है चुका न पाऊँगी मैं ,
दूध का कर्ज़ मुझपे जो है।
सदा यूँ ही वह संग रहे बस ,
होठों पर फ़रियाद है
मेरी माँ तो एक खूबसूरत एहसास है।

“माँग लूँ यही मन्नत कि फिर यही जहाँ मिले,
फिर यही गोदी मिले , फिर यही माँ मिले।

Lata Sen

लता सेन

इंदौर ( मध्य प्रदेश )

( 1 )

    मां की महिमा न्यारी है

   सब तीर्थों से भारी है !

 कण-कण में माँ का रुप

  मां से पहचान हमारी है !!

 माँ ने हमको जाया है

        चलना हमें सिखाया है!

पाल पोस कर बड़ा किया

 जीवन की राह दिखाया  है !!

         पकड़ की उंगली माता की

  क्षमता हमने पाई है !

       कुछ करने में हुए सफल

               सब ममता की प्रभुताई है  !!

जितनी विपत्ति लाल के उपर

झटपट मां हर लेती  है !

सारे कष्ट झेलकर सुत के

  जीवन में सुख भर देती है  !!

क्षमता नहीं जगत में कोई

ममता का मोल उतारे !

एक जन्म की बात नहीं कुछ

चाहे सौ हों जन्म हमारे !!

कवि : रुपेश कुमार यादव ” रूप ”
औराई, भदोही
( उत्तर प्रदेश।)

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