मेरी माँ
मेरी माँ

मेरी माँ

( Meri Maa )

 

    मां की महिमा न्यारी है

   सब तीर्थों से भारी है !

 कण-कण में माँ का रुप

  मां से पहचान हमारी है !!

 माँ ने हमको जाया है

        चलना हमें सिखाया है!

पाल पोस कर बड़ा किया

 जीवन की राह दिखाया  है !!

         पकड़ की उंगली माता की

  क्षमता हमने पाई है !

       कुछ करने में हुए सफल

               सब ममता की प्रभुताई है  !!

जितनी विपत्ति लाल के उपर

झटपट मां हर लेती  है !

सारे कष्ट झेलकर सुत के

  जीवन में सुख भर देती है  !!

क्षमता नहीं जगत में कोई

ममता का मोल उतारे !

एक जन्म की बात नहीं कुछ

चाहे सौ हों जन्म हमारे !!

कवि : रुपेश कुमार यादव ” रूप ”
औराई, भदोही
( उत्तर प्रदेश।)

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