मुस्कुराते रहे वो बिना बात पर

मुस्कुराते रहे वो बिना बात पर | Ghazal muskurate rahe wo

मुस्कुराते रहे वो बिना बात पर

( Muskurate rahe wo bina baat par )

 

मुस्कुराते   रहे    वो   बिना   बात पर।

दिल पे  छाते   रहे हर  मुलाकात पर।।

 

तीर    ऐसे   नजर    से   चलाते   रहे।

जुल्म   ढाते   रहे  पस्त  हालात  पर।।

 

है   नज़र  आ  रहे  हर  तरफ वो  हमें।

इस तरह छा गये फिर  ख्यालात  पर।।

 

धङकने  भी  उसी  को  पुकारा   करे।

वो असर पङ गया दिल के जज़्बात पर।।

 

यूं   बनाकर  दिवाना   हमें  चल  दिये।

क्या  कहे “कुमार” इस खुराफात पर।।

लेखक:  मुनीश कुमार “कुमार “

हिंदी लैक्चरर
रा.वरि.मा. विद्यालय, ढाठरथ

जींद (हरियाणा)

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