बस तेरे मुस्कुराने का असर | Muskurane ki shayari
बस तेरे मुस्कुराने का असर
( Bas tere muskurane ka asar )
बस तेरे मुस्कुराने का ये असर हो गया
उजड़ा मन खुशबुओं का शहर हो गया
आए महफ़िल में खुलकर बहारें खिल गई
गजलो गीतों की लहरों का नया दौर हो गया
हंसकर बातें वो करने लगे हमसे रात दिन
प्यारे नगमों का शहर में फिर शोर हो गया
तार दिलों के बजने लगे धड़कनें हुई जवां
लबों पे मुस्कुराहटों का फिर जोर हो गया
कैसा जादू भरा झील सी तेरी इन आंखों में
दिलों का कारवां कहूं प्रित्त का कहर हो गया
झूम उठा खुशियों से देखो आज मैं यहां पे
बस तेरे मुस्कुराने का आज असर हो गया
रचनाकार : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )
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