![Nafraten dekh li hai Nafraten dekh li hai](https://thesahitya.com/wp-content/uploads/2021/10/Nafraten-dekh-li-hai-696x464.jpg)
नफ़रतें देख ली है यहां हर घड़ी
( Nafraten dekh li hai yahan har ghadi )
नफ़रतें देख ली है यहां हर घड़ी
प्यार की बारिश अब हो रवां हर घड़ी
रब फ़ूलों की ख़ुशी की कर दें बारिशें
हो रही है ग़मों की ख़िज़ां हर घड़ी
है यहां तो उदासी तन्हाई यादें
है ख़ुशी की रातें अब वहां हर घड़ी
कब न जाने सनम मिलनें को आये
मैं सजाऊं गुलों से मकां हर घड़ी
प्यार का फ़ूल कैसे खिलेगा वहां
नफ़रतों की रवानी जहां हर घड़ी
चाहता हूँ जो वो हो पाता ही नहीं
लें रही है क़िस्मत इंतिहाँ हर घड़ी
प्यार से क्या करेगा भला गुफ़्तगू
वो दिखाता है यूं ही गुमां हर घड़ी
क्या ख़ुशी की बहारे होगी “आज़म” पे
चल रही जब ग़मों की फ़िजां हर घड़ी