नाराज़ नहीं होना | Naraz nahi hona shayari
नाराज़ नहीं होना
( Naraz nahi hona )
अक्सर प्यार में
छोटी छोटी बातों पर
नाराज़ नहीं होना।
जो नाराजगी है उसको
जाहिर कर देना ही प्यार है
यूँ कब तक अपने दिल को
थोड़ा थोड़ा जलाते रहोगे।
समझते हैं कि बहुत दुःख हुआ है
टूट गए हो अंदर से
बाहर से तू जैसा भी दिखे
पर घायल हुए हो अंदर से।
मन को दुखी न होने दें
मन की बात कह दो सब
कब तक यूँ ख़फ़ा रहोगे
अपने मन का बोझ हटा दो।
जो तन्हाई में साथ दे
उसे तड़पाना ठीक नहीं
जो कहना है कह दे सब
फिर दिल दुखाना ठीक नहीं।
कवि : सन्दीप चौबारा
( फतेहाबाद)
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