निशानी प्यार की | Ghazal nishani pyar ki
निशानी प्यार की
( Nishani pyar ki )
दें आया हूं मैं जिसे कल निशानी प्यार की
जिंदगी भर बन गयी दिल में रवानी प्यार की
दें गया है हिज्र आंखों में वो मुझे ऐसा यहाँ
रह गयी दिल में अधुरी वो कहानी प्यार की
जो नहीं लिक्खी मुहब्बत मेरी है तक़दीर में
बन गयी दिल की मेरे गुजरी कहानी प्यार की
मत कर शक ए दोस्त तू मेरी वफ़ाओ पे मगर
है किसी की ये तो बस चिट्टि पुरानी प्यार की
तू कभी करना नहीं अपनी निगाहें बेवफ़ा
हाँ निगाहें मुझसे सनम यूं ही मिलानी प्यार की
नफ़रतों की सिर्फ़ आती है उसे बातें करना
बोलता ही वो नहीं यारों ज़ुबानी प्यार की
बन सका आज़म नहीं जो हम सफ़र मेरा सनम
धड़कने है ये उसी की दीवानी प्यार की
️
शायर: आज़म नैय्यर
(सहारनपुर )