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मां को शीश नवाते हैं | Kavita maa ko shish navate hain
मां को शीश नवाते हैं ( Maa ko shish navate hain ) जिस मिट्टी की मूरति को, गढ़ गढ़ हमी बनाते हैं शाम सुबह भूखे प्यासे, उसको शीश झुकाते हैं सजा धजा कर खुद सुंदर, मां का रूप बताते हैं बिन देखे ही बिन जाने, नौ नौ रूप दिखाते है …
पुनीत पर्व शरद पूर्णिमा | Poem in Hindi on Sharad Purnima
पुनीत पर्व शरद पूर्णिमा ( Puneet parva sharad purnima ) ज्योत्स्ना मचल रही,अमिय वृष्टि करने को षोडश कला सोम छवि, अनूप कांतिमय श्रृंगार । स्नेहिल मोहक सौंदर्य, अंतर सुरभिमय आगार । धरा रज रज भावविभोर, तृषा तृप्ति कलश भरने को । ज्योत्स्ना मचल रही, अमिय वृष्टि करने को ।। पटाक्षेप काम क्रोध द्वेष, शीतलता…
अर्थ जगत | Kavita Arth Jagat
अर्थ जगत ( Arth Jagat ) अर्थ जगत अनुपमा, प्रेरणा पुंज मारवाड़ी समाज ************ उद्गम राजस्थानी मरुथल धरा, न्यून वृष्टि संसाधन विहीन । तज मातृभूमि आजीविका ध्येय अंतर्मन श्रम निष्ठ भाव कुलीन । प्रायः राष्ट्र हर क्षेत्र श्री गमन , लघु आरंभ बुलंद आर्थिक आवाज । अर्थ जगत अनुपमा, प्रेरणा पुंज मारवाड़ी समाज ।।…
Hindu Nababarsha par Kavita || चैत्र नववर्ष, हिन्दू नववर्ष
चैत्र नववर्ष, हिन्दू नववर्ष ( Chaitra Nabbarsha, Hindū Nababarsha ) सकल भू लोक का निर्माण, ब्रहृमा ने किया था जो तिथि। है चैत्र शुक्ला प्रतिपदा सा, श्रेष्ठ दिन है वो तिथि। नव सृजन का मधुमास है, तम दूर दिव्य प्रकाश है। पुष्पो से उपवन है भरे, मनभाव अन्तर्नाद है। यह चैत्र मास…
बचपन की बातें : कुछ सुनहरी यादें
बचपन की बातें ( Bachpan ki baatein ) काग़ज़ की नाव बना फिर से तैराए, बारिश के पानी में छबकियां लगाए। दरवाजे के पीछे छुपकर सबको डराए, चलो फिर से एक बार बच्चे बन जाए। पापा की कमीज पहन कर हाथ छुपाए, इस कला को हम लोगों को जादू बताएं। खुद भी हँसे सभी…
दाने-दाने पर लिखा है नाम | Daane – Daane
दाने-दाने पर लिखा है नाम ( Daane-daane par likha hai naam ) जिसकी किस्मत में जो लिखा, आता उसके काम। दाने-दाने पर लिखा होता, बस खाने वाले का नाम। जो धरती पर हमें भेजता, भाग्य बनाने वाला। सारे जग का पालनहारा, हम सबका रखवाला। सब जीवों का पेट वो भरता, चाहे चींटी हो या…