Pagadi par Kavita
Pagadi par Kavita

पगड़ी

( Pagadi ) 

 

ये है कपड़े की एक छोटी सी पगड़ी,
हरियाणा राजस्थान का मान पगड़ी।
आन बान और शान भी यही पगड़ी,
इज्जत और ईमान यह प्यारी पगड़ी।।

बुजूर्गों की यही पहचान है ये पगड़ी,
परिवार की यह एक लाज ये पगड़ी।
दादा व नाना काका बाबा एवं मामा,
पहनते है इसको आज के यह पापा।।

शादी में पगड़ी ये यादगार बना देती,
पहनें इसको तो चार चाँद लगा देती।
रंगों की होली या ख़ुशी की दीवाली,
पहनकर घूमते व कोई लेते सलामी।।

खरीदें तब कम होती इसकी कीमत,
सिर पर लगें और बढ़ जाती कीमत।
लगा रहें इसको बच्चें बुड्ढें यह आज,
बढ़ा रहें है पहचान पगड़ी की आज।।

चाहें नेता अथवा हो कोई अभिनेता,
पहनकर इसको शान से वह घूमता।
राजा और रंक की यही एक है शान,
धूप लगें तब बचाती है यह किसान।।

भारतवर्ष का जैसे ये तिरंगा है शान,
गणतंत्र स्वतंत्रता को पहनें सरकार।
सारासच सच लिख रहें हम कविता,
भेजें है सारा सच को प्यारी ‌कविता।।

इस पगड़ी का करें सब मान सम्मान,
संस्कृतियां निराली भिन्न है परिधान।
भिन्न भिन्न तरीके से पगड़ी ये बांधते,
अलग राजस्थान पगड़ी का पहचान।।

 

रचनाकार : गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )

यह भी पढ़ें :-

अभिमान | Abhiman par Kavita

 

 

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here