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राम नवमी

Kavita | राम नवमी

राम नवमी ( Ram Navami )   भक्तवत्सल सत्य अविरल भूमिजा सुखधाम आये। अयोध्या में राम आये,अयोध्या में राम आये।। थी धरा सहमी हुयी बहु पापियों के पाप से, हे प्रभू आकर बचालो इस विकट संताप से, त्रास अवनी की मिटाने संतप्रिय श्रीधाम आये।। अयोध्या में राम ०।। नवमी तिथि नखत पुनर्वसु शुक्ल पक्ष विचार…

जबसे नजरें मिला के रखा है

जबसे नजरें मिला के रखा है | Nazre Shayari

जबसे नजरें मिला के रखा है ( Jab se nazre mila ke rakha hai )   जबसे नजरें मिला के रखा है। हाल  कैसी  बना  के रखा है।। बहार  बनके  तुम  चले  आते, हमने गुलशन सजा के रखा है।। डूब जायेगा तेरा सारा ज़मीर इतने आंसू बहा के रखा है।। कोई  रकीब  ही  दुवा  कर …

Wah re zindagi

Kavita | वाह रे जिन्दगी

वाह रे जिन्दगी ( Wah re zindagi )   भरोसा तेरा एक पल का नही, और नखरे है, मौत से ज्यादा।   जितना मैं चाहता, उतना ही दूर तू जाता, लम्हां लम्हां खत्म होकर तू खडा मुस्कुराता। वाह रे जिन्दगी…. भरोसा तेरा एक पल का नही, और नखरे हैं मौत से ज्यादा। बाँध कर सांसों…

दबे हुए अरमान

Kavita | दबे हुए अरमान

दबे हुए अरमान ( Dabe hue armaan )   हर बार देख कर तुमकों क्यों,अरमान मचल जाते है। तब  भाव  मेरे  आँखों  मे आ, जज्बात मचल जाते है।   मन  कितना भी बाँधू लेकिन, मनभाव उभर जाते है, दिल की धडकन बढ जाती है,एहसास मचल जाते है।   क्या ये मेरा पागलपन है, या तेरे…

Kavita Raat Kaali | रात काली रही

Kavita Raat Kaali | रात काली रही

रात काली रही ( Raat Kaali Rahi )   रात  काली  रही  दिन  उजाला  भरा, बीतीं बातों पे चिन्तन से क्या फायदा।   वक्त कैसा भी था, दुख से या सुख भरा, बीतें लम्हों पे चिन्तन से क्या फायदा।   जब उलझ जाओगे, बीतीं बातों में तुम, आज की मस्तियाँ ग़म मे ढल जाएगी।  …

मय दानव

May Danava | मय दानव (महाभारत)

मय दानव ( महाभारत ) ( May Danava  )   खाण्डव वन में मय दानव ने, इन्द्रप्रस्थ रच डाला। माया से उसने धरती पर,कुछ ऐसा महल बनाया।   अद्भुत उसकी वास्तु शिल्प थी,कुछ प्रतिशोध भरे थे, जिसके कारण ही भारत में, महाभारत युद्ध कराया।   कौरव ने जब खाण्डव वन को, पाण्डवों को दे डाला।…

अग्निसुता

Agnisuta par Kavita | अग्निसुता

अग्निसुता ( Agnisuta )   द्रौपदी  ने  खोले  थे  केशु, जटा अब ना बांधूंगी। जटा पर दुःशासन का रक्त, भीगों लू तब बाधूंगी। मेरे प्रतिशोध की ज्वाला से,जल करके नही बचेगे, मै कौरव कुल का नाश करूगी, केशु तभी बाधूंगी।   धरा पर नारी को कब तक सहना,अपमान बताओं। पुरूष की भरी सभा मे,द्रोपदी की…

डोर

डोर | hindi poem on life

डोर ( Dor ) रंग बिरंगी पतंग सरीखी, उड़ना चाहूं मैं आकाश। डोर प्रिये तुम थामे रखना, जग पर नहीं है अब विश्वास।।   समय कठिन चहुं ओर अंधेरा, घात लगाए बैठा बाज़। दिनकर दिया दिखाये फिर भी, खुलता नहीं निशा का राज।।   रंगे सियार सरीखे ओढ़े, चम चम चमके मैली चादर। पा जायें…

फ़लक से क़मर को उतारा कहाँ है

फ़लक से क़मर को उतारा कहाँ है || Hindi Ghazal on Life

फ़लक से क़मर को उतारा कहाँ है ( Falak Se Kamar Ko Utara Kahan Hai )   फ़लक से क़मर को उतारा कहाँ है अभी उसने ख़ुद को सँवारा कहाँ है उदासी में डूबी है तारों की महफ़िल बिना  चाँद  के ख़ुश नज़ारा कहाँ है हुआ जा रहा है फ़िदा दिल उसी पर अभी  हमने…

फूलों का रंग रखिए,बरकरार हमेशा

फूलों का रंग रखिए,बरकरार हमेशा || hindi ghazal on nature

फूलों का रंग रखिए,बरकरार हमेशा ( Phoolon Ka Rang Rakhiye, Barkarar Hamesha )   फूलों  का  रंग  रखिए, बरकरार हमेशा। इस वास्ते गुलशन से करें,प्यार हमेशा।   कौन मौज में यहां, है मुफलिसी में कौन, यही  जानने  को पढ़िए,अखबार हमेशा।   जिसके ज़िगर में हौसलों का रंग नहीं है। वो  शख्स  ही  बदरंग है, लाचार…