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मुरझायेगे गुल किसे पता था 

मुरझायेगे गुल किसे पता था | Love Ghazal in Hindi Font

मुरझायेगे गुल किसे पता था  ( Murjhayenge gul kise pata hai )   मुरझायेगे गुल किसे पता था तूफान ऐसा यहाँ चला  था   यकीन पे दोस्ती करी उससे करेगा धोखा किसे पता था   वफ़ा जिसे दी मुहब्बत में ही दग़ा उसने प्यार में करा था   जिसे सदा दी वफ़ा बहुत ही वफ़ा…

रब उसको मुझसे प्यार हो जाये

रब उसको मुझसे प्यार हो जाये | Pyar Ghazal

रब उसको मुझसे प्यार हो जाये ( Rab usko mujhse pyar ho jaye ) कोई ऐसी बहार हो जाये रब उसको मुझसे प्यार हो जाये खेलना छोड़ो संग बच्चों के दुश्मन का अब शिकार हो जाये वो वफ़ा पे यक़ी नहीं करता उसको भी ऐतबार हो जाये वो मिलने अब मुझे चला आया ख़त्म अब…

खामोशी विरोध की भाषा

खामोशी विरोध की भाषा | Kavita khamoshi virodh ki bhasha

खामोशी विरोध की भाषा ( Kavita khamoshi virodh ki bhasha )   ये खामोशी,  सहमति नहीं विरोध की भाषा है! यह तो मजबूरी है,  सहमति में बदल जाना  किसी तकलीफ देय  घटना के डर से! एक वक्त आएगा  सब्र का घड़ा भर जाएगा तब नही होगी कोई मजबूरी न किसी प्रकार का कोई डर  तब…

कितना सहा होगा

कितना सहा होगा | Vedna kavita

 कितना सहा होगा  ( Kitna saha hoga)   कितना सहा होगा उन गर्भवती औरतों ने सड़क पर चलते हुए दर्द नंगे पैरों ,उखड़े कदमों से भूखे पेट और उतरे चेहरे से।। कितनी पीड़ा सही होगी सड़क पर बच्चे को जन्म देते हुए न कोई बिस्तर, न कोई दवा काट कर नाल बच्चे का टपकते अंगों…

विश्व हिंदी दिवस विशेष : हिंदी सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा

हिंदी सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा | Hindi bhasha

विश्व हिंदी दिवस विशेष   हर साल 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है । पहली बार विश्व हिंदी सम्मेलन का आयोजन नागपुर में 1976 में किया गया था जिसमें 30 देश शामिल हुए थे । हिंदी एक ऐसी भाषा है जो सीखी जा सकती है और साथ ही यह…

बेजुबान की आवाज़

बेजुबान की आवाज़ | Kavita

बेजुबान की आवाज़ ( Bezubaan ki awaz )   महाकाल तेरे इश्क़ में, चूर हो गया। ये लिखने पर, मजबूर हो गया। मैं नहीं था बुरा, मुझे तुमने बनाया है। इसलिए मैने भी, ये गाना रचाया है।। समझते क्या है तू, अपने आप को। मैने भी तेरे जैसों, को सिखाया है।। मैं महाकाल का लाल…

इंसान बनो | Insan bano kavita

इंसान बनो | Insan bano kavita

इंसान बनो ( Insan Bano : Kavita )   ये हर तरफ क्या हो गया है, क्यों हर जगह उदासी का मंजर है । लोग छोटी-छोटी बातों पर, क्यों बेवजह लड रहे हैं, हर तरफ द्वेष नफरत ही, क्यों पल रही, बढ़ रही है ।। कहीं रिश्ते में दूरियां आ रही; तो कहीं इंसानियत मर…