लगी आग नफ़रत की ऐसी जहां में

Hindi Poetry On Life -लगी आग नफ़रत की ऐसी जहां में

लगी आग नफ़रत की ऐसी जहां में (Lagi Aag Nafrat Ki Aisi Jahan Mein )     मैं जब भी पुराना मकान देखता हूं! थोड़ी बहुत ख़ुद में जान देखता हूं!   लड़ाई वजूद की वजूद तक आई, ख़ुदा का ये भी इम्तिहान देखता हूं!   उजड़ गया आपस के झगड़े में घर, गली- कूचे…

बारिशे मेरे आँगन से होकर जब भी गुजरी

Ghazal By Dr.Alka Arora -बारिशे मेरे आँगन से होकर जब भी गुजरी

बारिशे मेरे आँगन से होकर जब भी गुजरी ( Baarishe Mere Aangan Se Hokar Jab Bhi Gujri )   ?? तेरे शहर मे आज बेसबब आई हूँ साथ मुकद्दर के कुछ लम्हे लाई हूँ मुस्कुराना मेरी आदत है ,तो हो आँसू तेरी आँख से भी चुराने आई हूँ ?? वो जो करते रहे बाते किरदार…

चोरी चोरी चुपके चुपके मिला कर

love Ghazal -चोरी चोरी चुपके चुपके मिला कर

चोरी चोरी चुपके चुपके मिला कर   ( Chori Chori Chupke Chupke Mila Kar )   सभी के सामने गुल मत दिया कर! चोरी चोरी चुपके चुपके मिला कर   दिल में जो बात है बोला कर मुझसे निगाहों से इशारे मत किया कर   भूला दें तू सितम उसके सभी अब न यूं आहें…

मालिक का दरबार

Hindi Ghazal -मालिक का दरबार

मालिक का दरबार ( Malik Ka Darbar )   यह सारी दुनिया ही उस मालिक का दरबार हो जाए, अगर आदमी को आदमी से सच्चा प्यार हो जाए ।   जाति-मज़हब के नाम पर और लड़ाइयाँ ना होंगी, अगर इंसानियत ही सबसे बड़ा व्यापार हो जाए ।   हरेक कामगार को मयस्सर हो उनके हक़ की रोटी, अगर मालिक-मज़दूर…

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और जिम्मेदारी पर निबंध

Essay in Hindi on freedom of expression | अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और जिम्मेदारी पर निबंध

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और जिम्मेदारी पर निबंध ( Freedom Of Expression And Its Responsibility: Essay In Hindi )   प्रस्तावना ( Preface ) :- मानवीय गरिमा को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से Freedom Of A Person को आवश्यक बताया गया है। भारत सहित दुनिया के अनेक देशों में सामाजिक स्तर पर व्यक्तियों को बोलने की…

पराया वो जब से चेहरा हुआ है

Sad Ghazal -पराया वो जब से चेहरा हुआ है

पराया वो जब से चेहरा हुआ है ( Praya Wo  Jab Se Chehra Hua Hai )   पराया वो जब से चेहरा हुआ है आंखों में अश्कों का दरिया हुआ है   भला कैसे ख़ुशी से मुस्कुराऊं मेरा दिल प्यार में  टूटा हुआ है   मनाऊँ भी भला कैसे उसे अब बहुत मुझको वही रूठा…

तमाशा ऐसा भी हमने सरे-बाज़ार देखा है

Dard Bhari Ghazal -तमाशा ऐसा भी हमने सरे-बाज़ार देखा है

तमाशा ऐसा भी हमने सरे-बाज़ार देखा है ( Tamsssha Aisa Bhi Hamne Sare Bazar Dekha Hai )   तमाशा ऐसा भी हमने सरे-बाज़ार देखा है।। दिखावे के सभी रिश्ते जताते प्यार देखा है।।   तभी तक पूछते जग में है पैसा गांठ में जब तक। हुई जब जेब खाली तो अलग व्यवहार देखा है।।  …

मेरी नजर में 'आका बदल रहे हैं' ग़जल संग्रह

Book Review : Aaka Badal Rahe Hain -पुस्तक समीक्षा: आका बदल रहे हैं

  पुस्तक समीक्षा: आका बदल रहे हैं ( गजल संग्रह ) ( Book Review: Aaka Badal Rahe Hain )               लेखक: विजय कुमार तिवारी सेतु प्रकाशन माधव पार्क -२ बस्त्राल रोड, बस्त्राल अहमदाबाद -382418 मूल्य: रु. 180 डॉ अलका अरोडा प्रोफेसर -देहरादून के द्वारा आदरणीय श्रीमान विजय कुमार तिवारी…

यहाँ रोज़ लब पे ख़ामोशी रही है!

Sad Shayari -यहाँ रोज़ लब पे ख़ामोशी रही है!

यहाँ रोज़ लब पे ख़ामोशी रही है! ( Yahaan Roz Lab Pe Khamoshi Rahi Hai )   यहां रोज़ लब पे ख़ामोशी रही है! कहीं प्यार की ही लबों पे हंसी है     किसी ने तोड़ा प्यार से ही भरा दिल आंखों में भरी प्यार की ही नमी है   उदासी ख़ामोशी भरी जिंदगी…

जरअ मत ! 

Ja-Ra-Mat Bhojpuri Kavita -जरअ मत !

जरअ मत !  ** (भोजपुरी भाषा में) ******   ना त राख हो जइब, कोयला नियर खाक हो जइब। बाॅडी मास ( Body, Mass ) सब हो जाई हवा, एकर नइखे कवनो दवा। इ प्रकृति के नियम बा- जे जरी ऊ साफ होई, जरला पर राख होई। हवा उड़िया ले जाई, अस्तित्व तोहार मिटाई। त…