मोहाली जैसे छोटे से शहर से निकल अंतराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने वाले पेंटर हरि सिंह

मोहाली जैसे छोटे से शहर से निकल अंतराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने वाले पेंटर हरि सिंह

हर कलाकार की तरह हरि सिंह की ख्वाहिश थी कि वह अपने विधा में शोहरत हासिल कर बुलंदियों को छुएं और दुनिया में अपनी कामयाबी का झंडा गाड़े। हरि सिंह को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक बार आर्टिस्ट के रूप में ख्याति मिली है और अब इनका नाम विश्वस्तरीय प्रदर्शनियों के अत्युत्कृष्ट प्रर्दशन में भी दर्ज…

कहीं ग़म कहीं पे ख़ुशी है

कहीं ग़म कहीं पे ख़ुशी है

कहीं ग़म कहीं पे ख़ुशी है     कहीं ग़म कहीं पे ख़ुशी है! कहीं पे हंसी तो नमी है   कोई जीवन अच्छा गुजारे कहीं ग़म भरी जिंदगी है   मुहब्बत को कोई निभाये कहीं दिल में ही बेरुख़ी है   कोई रिश्ता दिल से निभाता कहीं हर घड़ी बेदिली है   कहीं पे …

और क्रंदन

और क्रंदन

और क्रंदन     थकित पग में अथक थिरकन  और क्रंदन। आंसुओं का बरसा सावन और क्रंदन।।   हृदय से उस चुभन की आभास अब तक न गयी। सिंधु में गोते लगाये प्यास अब तक न गयी ।।   बढ़ रही जाने क्यूं धड़कन और क्रंदन । थकित बालक समझ मुझको धूल ने धूलित किया…

याद करते थे भुलाने में लगे

याद करते थे भुलाने में लगे

याद करते थे भुलाने में लगे     याद करते थे भुलाने में लगे! वो पराया अब बनाने में लगे   सच बताकर वो ही सबसे झूठ को दाग दामन से मिटाने में लगे   दोष क्या दूँ मैं औरो को देखिए घर मेरा अपनें ही जलाने में लगे   दिल दुखाकर वो वफ़ा में…

जो बीत गयी वो बात नहीं

जो बीत गयी वो बात नहीं

जो बीत गयी वो बात नहीं   जो बीत गयी वो बात नहीं जो गुजर चुकी वो रात नहीं   मैं खाली हूँ अपनें पन से क्यों इश्क़ करुं मैं बेमन से   मैं टूट रहा लम्हा लम्हा हाँ जीता रहूंगा मैं तन्हा   अब तू भी नहीं तेरा साथ नहीं अब दर्द नहीं ज़ज्बात…

दिल में किसी की याद इतनी भर गई

दिल में किसी की याद इतनी भर गई

दिल में किसी की याद इतनी भर गई     दिल में किसी की याद इतनी भर गई। चाहा मिटाना लाख फिर से उभर गई।।   उनको हमारी याद आती जरूर है। शामो-सहर अपने वो मेरे नाम कर गई।।   हम पर असर यादों का ऐसा कुछ हुआ। वीरान सारी जिंदगी गुजर गई।।   दिल…

करोगे प्यार तो (गीत )

करोगे प्यार तो (गीत )

करोगे प्यार तो (गीत )   करोगे प्यार तो दुनिया ये दिल दुःखाएगी। वफ़ा के नाम पर धौखे तुझे खिलाएगी।।   खुशी की चाह में ग़म से ही सामना होगा। उदास जिंदगी यहीं आके ठहर जाएगी।।   वीरान राह में भटकते रहोगे शामो-सहर। बहार दूर तलक कहीं भी नज़र ना आएगी।   थे साथ गुज़रे…

लक्ष्य

लक्ष्य

लक्ष्य   है दुनिया में ऐसा कौन? जिसका कोई लक्ष्य न हो।   तृण वटवृक्ष सिकोया धरा धरणीपुत्र गगन हो।   प्रकृति सभी को संजोया कण तन मन और धन हो।   खग जल दिवा-रजनी बाल वृद्ध जन व पवन हो।। है दुनिया ०   सब संसाधन यहीं हैं,सही है, कहां दौड़ते ऐ विकल मन…

अपना भारत फिर महान हो जाता

अपना भारत फिर महान हो जाता

अपना भारत फिर महान हो जाता ********   ऊंची मीनारों में रहने वालों जरा रहकर इक व्रत देख लेते एहसास हो है जाता  भूख होती है क्या? मजलूम मजदूरों का निवाला  छीन कर खाने वालों, एहसास हो है जाता भूख से बिलखते बच्चों की भूख होती  है क्या? इन बच्चों में जो देख लेते  अपना…

न कर फरियाद दुनिया से

न कर फरियाद दुनिया से

न कर फरियाद दुनिया से   न कर फरियाद दुनिया से सहारे भी नहीं मिलते। कभी मझधार में आकर किनारे भी नहीं मिलते।।   गुलो-गुलजार की पहले सी वो रौनक कहां है अब ? यूं मौसम ए ख़िजां में अब बहारें भी नहीं मिलते ।।   यहां जीवन सभी का ही हमें वीरां बहुत लगता।…