परेशानी | Pareshani par Kavita
परेशानी
( Pareshani )
दिल थाम लो जरा तुम तिरछी धाराओं को मोड़ दो
राह की अड़चन बन जाये उन बेड़ियों को तोड़ दो
बाधाओं मुश्किलों ने घेरा परेशानियां बुन रही जाल
आंधी तूफां आते जाते चलना जरा कदम संभाल
घोर निराशाओं के बादल जब आके सर पे मंडराए
धीरज धरना मीत मेरे हिम्मत हौसला साथ निभाए
परेशानी का करो सामना आगे बढ़ो करके तैयारी
मन का अन्धेरा दूर करो रख हौसला हिम्मत भारी
जीवन की हर राहों में गर्त भी होंगे पर्वतमाला भी
परेशानी के ढेर भी होंगे विजय हर्ष मतवाला भी
कह दो हर बाधाओं से हमने हिम्मत को धार लिया
हर मुश्किलों हर तूफानों को हौसलों से पार किया
रचनाकार : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )