परवाज उड़ान कल्पनाओं की | Parwaz
परवाज उड़ान कल्पनाओं की
( Parwaz udaan kalpanao ki )
भर परवाज नई उड़ाने नई नई कल्पना आई।
भाव भरा सागर उमड़ा नई-नई रचनाएं आई।
शब्द सुरीले मन मोहे मंच मुदित वाणी हरसाई।
गीत गजल छंद मुक्तक ने पावन सरिता बहाई।
कलमकार सुधीजन सारे पाते हैं मान-सम्मान।
यशस्वी लेखनी हुई उदित कलमकार दिनमान।
आया दिवस हर्ष भरा हुई खुशियों की बरसात।
सृजनशील किरदारों को मिल जाती नई सौगात।
भरे उड़ाने लेखनी काव्य की मधुर रसधार।
अनुराग उमड़े हृदय मनभावन मधुर झंकार।
कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )